क्या नज़ारा होगा





वो बर्बादी के मंजर का भी क्या नज़ारा होगा
जिन्हें तेरी जुल्फों ने संवारा होगा।

वैसे तो एक नज़र ही काफी है मटियामेट करने के लिए
वो शख्स तो नैनों से मारा गया होगा।

तू किताबें कहानी की पढ़कर अदाकारी सीखी होगी
जो तुझ पर मर गया क्या वो शख्स आवारा होगा?

दुनिया सज़दा करे या मिसालें दे, खाक है
जब मोहब्बत मर रहा था क्या किसी ने दिया सहारा होगा?

मोहब्बत में नजरे चुरानी हों तो बंदिशे हैं बहोत
अगर इश्क़ निभा गया तो उस सा ज़िन्दगी किसी ने न गुजारा होगा।

वो बर्बादी के मंजर का भी क्या नज़ारा होगा
जिन्हें तेरी जुल्फों ने संवारा होगा।




© अंबिकेश कुमार चंचल

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