'गर मरने का शौक है तो इश्क़ कर लो
खुदकुशी में मौत का मज़ा न आएगा ।
ये कोठियां, ये मधुशालाएं, सब तुम्हारी होंगी
इक बार जो मुहब्बत दिल में उतर जाएगा ।
इश्क़ में फ़ना होगे, सांसों में चुभन होगी
मगर इस दर्द में मज़ा बहुत आएगा ।
रेशमी जुल्फें, झील जैसी आंखें, और भी बहुत कुछ
दिल सुर्ख होठों में ही उलझ जाएगा।
इक बार मिले बेवफाई, रिश्ते, गुलछेरियां
मौज़, मस्खारियां सब बिखर जाएगा ।
अहले वक़्त जो ज़िन्दगी की दुआ मांगोगे
मुहब्बत मौत देकर चला जाएगा ।
'गर मरने का शौक है तो इश्क़ कर लो
खुदकुशी में मौत का मज़ा न आएगा ।
© अंबिकेश कुमार चंचल
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