नारी
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मुझे न छेड़ो
तुफान से पहले की खामोशी हूँ मैं
कायनात की चिराग
जुल्मी दुनिया की जरूरत हूं मैं
मुझे न थाहो
सागर से भी गहरी
कुसुम से भी कोमल
पर, कठोर शैल - सी हूं मैं
तुम्हारे महफिल की खुशी हूं मैं
ममता की जननी
मुहब्बत की सहेली हूं मैं
हूं मैं शिव की शक्ति
मुझे न छेड़ो
तुफान से पहले की खामोशी हूं मैं
- अम्बिकेश कुमार 'चंचल'
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