हसीनाओं के जलवे

Ambikesh kumar chanchal




हसीनाओं के जलवे हैं चारों तरफ
हम तो गलियों में कहकहे लगते हैं।

हमारी ताकत का अंदाजा यूं ही न लगा लेना
रातों को कहकशों में सितारे चुन लेते हैं।

इत्मीनान से इत्तेफाक नहीं रखते बातों का
वो शायरी हैं, हम शायरी बनाते हैं।

जरूरत पड़ी तो ज़ोर देकर कहना
बहरे नहीं व्यथित है, गुनगुनाते हैं।

इश्क़ मुकम्मल हो न हो
दीवाने हैं, सदाबहार गाते हैं।

मैकदे में आकर कहां चले
चल आज मधुबाला से इश्क़ लड़ाते हैं।

© अम्बिकेश कुमार चंचल

Comments