मोहब्बत हमारी इतनी निकम्मी है





मोहब्बत हमारी इतनी निकम्मी है
तुम दिल न दुखाते तो क्या करते।

इश्क करती है, मगर भूल जाती है
तुम फितरत इंसानी न दिखाते तो क्या करते।

फलक पर सजाया था, हलक से निकाल लाया
तुम जमीं न दिखाते तो क्या करते।

माना कि बेवफाई में रगों की मजबूरियाँ रही होंगी 
हम आँखों में नमीं न दिखाते तो क्या करते।

दुनिया ने सिखाए हैं फायदों के गुर इतने
तुम रिश्ते में सौदेबाजी न करते तो क्या करते।

दाँव शातिर हर पल खेला गया अंजान के साथ
खेल से हम खुद को न हटाते तो क्या करते।

मोहब्बत हमारी इतनी निकम्मी है
तुम दिल न दुखाते तो क्या करते।

© अम्बिकेश कुमार चंचल 

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