प्रेम गवाही




वो कागज़ का खत वो होठों की निशानी 
वो काली रात आंखों से बरसता पानी । 

वो कुछ गुज़रे लम्हात की गवाही देते हैं
तुझे आई मेरी याद की गवाही देते हैं ।

वो सीने की धड़कन रातों का सूनापन 
तकिए की मरोड़ खटिए की तड़पन ।

बेचैन तेरे जिस्म के करवट की गवाही देते हैं
तुझे आई मेरी याद की गवाही देते हैं ।

वो लालटेन की मद्धम - मद्धम रौशनी
टिमटिमाते नभ में, जगमगाते ज़मीं पर जुगनू सारे ।

खपरैल की खिड़की से चांद की गवाही में
जब रुख़सार से रूबरू हो गुजरते हैं ।

गालों पर तेरी हुई बरसात की गवाही देते हैं 
तुझे आई मेरी याद की गवाही देते हैं ।

हाथों से फटी तस्वीर दिल से उतरी नहीं है
कहानी है ये इश्क़ की कुछ दूसरी नहीं है ।

बिलखती ये रात, आहों की गवाही देते हैं
तुझे आई मेरी याद की गवाही देते हैं ।


© अंबिकेश कुमार चंचल

https://themanishchaubey.com 

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