तड़पते देखा है



तड़पते देखा है




मैंने, उसे तड़पते देखा है

आँखों को डूबते देखा है
भारतेन्दु की माधुरी में -
गाते देखा है
हिय के दर्द में ह्रदय को
मैंने, उसे तड़पते देखा है 

पथ निहारत नयनों को
न थकते देखा है
फैलते हुए आँचल को
न फैलाते देखा है
सुत-आसुत जल में समाते देखा है
हिय के दर्द में ह्रदय को
मैंने, उसे तड़पते देखा है 

भूले-बिसरे आँसुओं को
फिर से बहते देखा है
अश्क़ पटों को कभी
न सूखते देखा है
मिलन की आस में विरह को ठगते देखा है
हिय के दर्द में ह्रदय को
मैंने, उसे तड़पते देखा है 

पांवों के छालों को देखा है
रिसते हुए घावों को देखा है
सजते हुए मिलन के अरमानों को देखा है
कायनात के पार ख्वाबों को
सत्य में बदलते देखा है
हिय के दर्द में ह्रदय को
मैंने, उसे तड़पते देखा है 

- अम्बिकेश कुमार 'चंचल'

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